भूलना भुलाना तो दिमाग का खेल है, बेफिक्र हो जाओ तुम तो दिल में रहते हो.
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हुआ था शोर पिछलि रात में दो चांद निकले है,बताओ क्या जरूरत थी तुम्हे छत पर टहलने की 🌙
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आदत हो गई है नफरत की अब मोहब्बत अच्छी नहीं लगती।
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कभी आओ इस क़दर की आने में लम्हा और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाये
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इश्क की उम्र नहीं होती ना ही दौर होता है इश्क़ तो इश्क़ है जब होता है बेहिसाब होता है।
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लोग शक्ल की बात करते हैं, मुझे तो तेरी आवाज से भी प्यार है |
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बहुत मन करता है हसने का, पर किसी की कमी रुला देती है
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मोहब्बत कभी खत्म नही होती या तो बढ़ती है दर्द बनकर या फिर सुकून बनकर..।।
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सारा जहां है जिसकी शरण में, नमन है उस माँ के चरण में.
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हम क्या हैं वो सिर्फ हम जानते हैं 😠 लोग सिर्फ हमारे बारे में अंदाजा ही लगा सकते हैं 😎
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अपनी कलम से दिल से दिल ❤️ तक की बात करते हो, सीधे सीधे कह क्यों नहीं देते हम से प्यार 🥰 करते हो।।
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सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती! न करेंगे किसी से वादा! पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा की करना पड़ा दोस्ती का वादा
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तकलीफ़ खुद ही कम हो गई, जब अपनों से उम्मीदें कम हो गई…😊😊
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अगर किस्मत में लिखा है रोना, तो कोई मुस्कुराने पर भी आंसू निकल आते हैं||
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वो लम्हा मेरी ज़िन्दगी का बड़ा अनमोल होता है.. जब तेरी बातें, तेरी यादें, तेरा माहौल होता है...
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उँगलियाँ निभा रही हैं रिश्ते आजकल ज़ुबाँ से निभाने का वक्त कहाँ
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ये जो तुम कहते रहते हो न की खुश रहा करो तो फिर सुन लो हमेशा मेरे पास रहा करो
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सिर्फ तेरे दीदार के लिये आते हैं तेरी गलियों में, वरना आवारगी के लिये तो पूरा शहर पड़ा है !!"
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दिल के रिश्ते किस्मत से मिलते है, वरना मुलाकात तो हज़ारों से होती है |🥰
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क्यों गरीब समझते हैं हमें ये जहां वाले, हजारों दर्द की दौलत से मालामाल हैं हम…...!
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कुछ तो खास है जो तुझे मुझसे जोड़े रखता है वरना इतना माफ़ तो मैंने खुद को भी नहीं किया.
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दुनिया 🌏 तुम्हे उस वक्त तक नहीं हरा सकती, जब तक तुम खुद से ना हार जाओ…
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सफर में कही तो दगा खा गए हम जहाँ से चले थे वही आ गए हम
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अब मुझे रास आ गई है तन्हाइयाँ... आप अपने वक़्त का अचार डाल लिजिये
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दर्द सिर का हो या दिल का..दोनों बहुत बुरे होते है💔
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“रिश्तो को वक़्त और हालत बदल देते है, अब तेरा ज़िकर होने पर हम बात बदल देते है।”😊😊
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सजा तो बहुत दी है ज़िंदगी ने पर कसूर क्या था वो नहीं बताया..😊
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उसने कहा तुम सबसे अलग हो, सच कहा और कर दिया मुझे सबसे अलग |
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कैसे करूँ मैं तुम्हारी यादों की गिनती..... साँसों का भी कोई हिसाब रखता हैं क्या...
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हमने तो मोहब्बत कीयी थी वो भी कर लेती तो शायद इश्क कहलाता...।
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