किसे पुछूँ ? है ऐसा क्यों ?…बेजुबान सा ये जहां है ..
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414
तू पनाह मेरी, तू साया मेरा ….तू मंजिल मेरी, मैं मुसाफ़िर तेरा…
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97
तुम बिन जिया जाए कैसे …कैसे जिया जाए तुम बिन…
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112
इश्क़ सच्चा वही …जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें …
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251
दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके
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913
अजनबी कहें की अपना कहें …अब क्या कहें, क्या ना कहें …
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तेरे संग यारा , खुश रंग बहारा
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705
कल थे मिले,फिर क्यों लगे ऐसे… तुमसे मिले अरसा हुआ जैसे…
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150
मिलना तेरा मिलना मेरा …मिलना था क़िस्मत में लिखा…
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दीवाना तेरा.. तुझे ही बुलाए ,ये मर्ज़ी तेरी.. तू आए ना आए
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103
सच्ची सी हैं ये तारीफें ….दिल से जो मैंने करीं हैं….
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472
हर ख़्वाब मेरा, उम्मीद मेरी …मैं तुझसे जोड़ दूँ…
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192
तू की जाने प्यार मेरा…मैं करूँ इंतजार तेरा…
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375
मैं तेनु समझावां की…ना तेरे बिना लागदा जी…
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260
मेरी थी जो खामियां ,तुझसे पूरी हुई …बाक़ी हुवे बेवजह ,तू ज़रूरी हुई …
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बातों को तेरी हम भुला ना सके …होके जुदा हम ना जुदा हो सके …
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500
तुम साथ हो या ना हो क्या फर्क है …बेदर्द थी ज़िन्दगी बेदर्द है…
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151
पल दो पल की ही क्यों है ज़िन्दगी …इस प्यार को है सदियाँ काफी नहीं ..
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161
उम्मीदों से है घायल ,उम्मीद पे ज़िंदा है ….आस भरी अरदास को तू ऐसे ना ठुकरा …
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मैं जो जी रहा हूँ …वज़ह तुम हो.. वज़ह तुम हो..
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मैं रहूँ या ना रहूँ …तुम मुझ में कहीं बाकी रहना…
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आपके प्यार में हम संवरने लगे ,देखके आपको हम निखरने लगे
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तू छूट कर, क्यों छूटा नहीं ,कुछ तो जुदा है अभी ,मैं टूट कर, क्यों टूटा नहीं
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