खुदगर्ज़ है लोग यहाँ, मतलबी है ज़माना, बात अगर मेरी झूठी लगे तो, कभी अपनों को भी आज़माना।💯
Copy
10
तुम्हे चाहने वाला जब तुम्हे ही वक्त देना बंद कर दे तो समझ लेना कि वो अब तुम्हारा नहीं रहा
Copy
106
ऐ ईश्क सुना था के… तु अंन्धा है फिर मेरे धर का राश्ता तुजे कीसने बताया
Copy
17
कैसे छोड दूं आखिर तुझसे मोहब्बत करना...तू मेरी किस्मत में ना सही.. दिल में तो है
Copy
103
"चुप हूँ तो खुद को शहनशाह मत समझ बोलने पर आया तो तुझे तेरी औकात दिखा दूंगा..!
Copy
24
मुझे समझने के लिये ! आपका समझदार होना ज़रूरी है !!"
Copy
18
क्यों उसको याद करके तू आज भी रोता है, ये मतलबी दुनिया है मेरे दोस्त यहां कोई किसी का नहीं होता है।
Copy
25
घुटन सी होने लगी थी, इश्क़ जताते जताते हम खुद से रूठ गए थे किसी को मनाते मनाते।।🥺🥺
Copy
39
ज़रूरी नहीं हर गिफ्ट कोई चीज़ ही हो, प्यार, केयर, रेस्पेक्ट भी अच्छा गिफ्ट ही है |
Copy
29
कुछ पल निकाल लिया करो मेरे लिए भी, दिल बहुत उदास रहता है जब तुमसे बात नहीं होती
Copy
703
प्यार भी कितना अजीब होता है न , वो चाहे कितनी भी तकलीफ दे पर सुकून उसी के पास मिलता है
Copy
7K
तू भी आईने की तरह बेवफा निकला, जो सामने आया उसी का हो गया ❤️
Copy
20
जो कहते थे मुझे डर है कहीं मैं खो न दूँ तुम्हे, सामना होने पर मैंने उन्हें चुपचाप गुजरते देखा है... !!
Copy
145
खामोशियाँ बोल देती है जिनकी बातें नहीं होती, इश्क वो भी करते है ❤️ जिनकी मुलाकातें नहीं होती.🥰
Copy
100
खुद को हमेशा OTP की तरह बनाओ, ताकि कोई दूसरी बार आपका इस्तेमाल ना कर सके।😎
Copy
141
“मशहूर होने का शोक नहीं है, लेकिन क्या करे लोग नाम से ही पहचान लेते है।” 😎😎
Copy
12
ज़रा सा भी नहीं पिघलता दिल❤️ तुम्हारा, इतना कीमती 💰 पत्थर कहा से ख़रीदा !!
Copy
18
उसे भुला दूंगा और चैन से सोऊंगा .. ये सोचते सोचते पूरी रात निकल जाती है !
Copy
16
मैं तेनु समझावां की…ना तेरे बिना लागदा जी…
Copy
260
तुझे मेने धड़कनो में बसाया तो धड़कने भी बोल उठी अब मज़ा आ रहा है धक् धक् करने में
Copy
47
ग़ालिब ने खूब कहा है - ऐ चाँद तू किस मज़हब का है , ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
Copy
69
जब दो लोगो के बीच में तीसरा इंसान आ जाता है तो दूरियां अपने आप बढ़ जाती है
Copy
29
सारी दुनिया के रूठ जाने से मुझे कोई दुख नहीं , बस एक तेरा खामोश रहना मुझे तकलीफ देता है
Copy
22
अपनी ज़िन्दगी का एक अलग उसूल है, दोस्त की खातिर मुझे कांटे भी कुबूल है,
Copy
453
जिन्दगी न जाने किस मुकाम तक पहुँच गई है, तन्हाई में रोना पड़ता है और महफ़िल में हँसना पड़ता है||
Copy
35
मुझे किसी के बदल जाने का कोई गम नही बस कोई था जिससे ये उम्मीद नही थी
Copy
45
हारना मंज़ूर है मुझे पर, खेल तो में बड़ा ही खेलूंगा,🎲
Copy
86
सब खफा है मेरे लहजे से पर मेरे हालात से वाकिफ कोई नहीं |
Copy
15
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको, यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है।”
Copy
10
ठोकर खाया हुआ दिल है साहब भीड़ से ज्यादा तन्हाई अच्छी लगती है.
Copy
12