मत पूछ मेरे जागने की वजह, ए चाँद तेरा ही हमशक्ल है जो मुझे सोने नही देता....💖
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ज़िन्दगी के हर मोड़ पर तुम साथ रहना , चाहे दूर रहो पर हमेशा दिल के पास रहना
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मैंने दबी आवाज में पूछा, मोहब्बत करने लगी हो, नजरें झुका कर वो बोली, "बहुत"
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सुरत तो फिर भी सुरत है.. मुझे तो तेरे नाम के लोग भी अच्छे लगते है!!🥰
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अनजान बन कर मिले थे, पता ही नहीं चला कब जान बन गए.
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सारी दुनिया रूठ जाए मुझे कोई दुख नहीं बस एक तेरा खामोश रहना... मुझे अन्दर तक तकलीफ़ देता है..
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जरूरत और खाविश दोनों आप ही हो खुदा करे कोई एक पूरी हो जाये |🥰
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तू मेरे दिल पे हाथ रख के तो देख, मैं तेरे हाथ पे दिल ना रख दूँ तो कहना.......!
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मोहब्बत में शक 🤔 और गुस्सा 😡 वही लोग करते हैं, जो आपको खोने से डरते हैं।
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मेरे इस दिल को तुम ही रख लो ना बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी
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नाराजगी है तेरी या बस बहाना रूठ जाने का, मैं खुद को भी हार जाऊं तेरे लिए, तू हक तो दे मनाने का 💞
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कुछ खास नहीं इन हाथों की लकीरों में,मगर तुम हो तो एक लकीर ही काफी है…
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मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी।
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लोग शक्ल की बात करते हैं, मुझे तो तेरी आवाज से भी प्यार है |
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मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबुत रखना जरा से भी चुके तो मोहबत हो जायेगी
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क्या नाम दूँ मैं अपनी मोहब्बत को, कि ये तेरा सिवा किसी और से होती ही नहीं..!!😍
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खैरियत पूछने वाले तो बहुत हैं मेरे पास ,, तलाश तो उसकी है जो खयाल भी रखे ।
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ना जाने कैसा रिश्ता है इस दिल का तुझसे, धड़कना भूल सकता है पर #तेरा नाम नही..😘 👫
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जो इश्क़ दूरियों में भी बरकरार रहे वो, इश्क़ ही कुछ और होता है.
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यूँ तो तैरने में बहुत माहिर हैं हम, फिर भी डूब जाते हैं अक्सर तेरे ख्यालो में...
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ज़रा सा हक तुम भी जताना सीख लो 😊 इश्क़ अगर है, तो बताना सीख लो !!❤️
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"बेबस कर दिया है , तूने अपने बस में करके......."
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क्यों सवरू मैं किसी के लिए, जब बिखरी झुलफो में तुम मुझे ख़ूबसूरत कह देते हो ❤
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जिससे मिलने के बाद जीने की उम्मीद बढ़ जाये, समझना वही प्रेम है |
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नही बस्ती किसी और की सूरत अब इन आंखों में, काश हमने तुझे कभी इतने गौर से न देखा होता |🤩🤩
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कोई अजनबी ख़ास हो रहा है, लगता है फिर से प्यार हो रहा है..!
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खामोशियाँ बोल देती हैं जिनकी बाते नहीं होती , इश्क़ वो भी करते हैं जिनकी मुलाक़ाते नहीं होती
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न जाने कैसा नशा है ये आशिक़ का इसमें इंसान कम और खिलौना ज्यादा नज़र आता है |
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ग़ालिब ने खूब कहा है - ऐ चाँद तू किस मज़हब का है , ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
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तू गुजर जाये करीब से.... वो भी मुलाकात से कम नहीं..
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