कौन कहता है तेरे दर से मांगने वाला गरीब होता है जो तेरे दर तक पहुच जाय वो सबसे बड़ा खुशनसीब होता है
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76
हीरा बनाया है ईश्वर ने हर किसी को, पर चमकता तो वही है जो तराशने की हद से गुजरता है . सतनाम श्री वाहेगुरु |
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12
कोई तन दुखी, कोई मन दुखी, कोई धन बिन रहत उदास | थोड़े थोड़े सब दुखी, सुखी सिर्फ मेरे सतगुरु के दास ||
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12
सेवा सबकी कीजिये मगर आशा किसी से मत रखिये क्योंकि सेवा का सही मूल्य भगवान ही दे सकता है इंसान नहीं |
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40
नमो नमो दुर्गे सुख करनी. नमो नमो अम्बे दुःख हरनी.!
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81
जो जग को ना भाया उसे तूने अपनाया, किस चीज़ की लालच देंगे वो हमको जब तू ही मेरा मोह तू ही मेरी माया |
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22
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
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23
उसने ही जगत बनाया है कण-कण में वो ही समाया है दुख में भी सुख का अहसास होगा जब सिर पर शिव का साया है
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198
कर्म भूमि की दुनिया में श्रम सभी को करना है भगवान सिर्फ लकीरें देता है रंग हमें ही भरना है | जय श्री कृष्णा
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36
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा,निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
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136
सारा जहां है जिसकी शरण में, नमन है उस माँ के चरण में.
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251
देने के बदले लेना तो बिमारी है | और जो देकर भी कुछ ना ले वही तो बांके बिहारी है | राधे राधे
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31
उदास नहीं होना,क्योंकि मै साथ हूँ, सामने न सही पर आस-पास हूँ, पल्को को बंद कर जब भी दिल मे देखोगे, मै हर पल तुम्हारे साथ हूँ !
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412
हर आरम्भ का मैं अंत हूँ, हर अंत का मैं आरम्भ हूँ , मैं सत्य हूँ; मैं शिव हूँ; मैं काल हूँ; मैं ही महाकाल हूँ !
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131
लोग तो दुनियाँ वालो से यारी करते है मेरी तो दुनियाँ बनाने वालो से यारी है
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30
सारा जहां है जिसकी शरण में, नमन है उस माँ के चरण में
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107
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
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95
माँ ! मैं सब कुछ भूल सकती हूँ…तुम्हे नहीं ।
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227
कर्मो से डरिये, ईश्वर से नहीं, ईश्वर माफ कर देता है | कर्म माफ नहीं करते !!
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16
स्पर्श वो नहीं जिसने शरीर को पाया हो, स्पर्श तो वो है जिसने आत्मा को गले लगाया हो | जय श्री राधे कृष्णा
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12
"दिल की गहराईयों से की गई सच्ची अरदास, तकदीर को भी बदलने की शक्ति रखती है।"
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152
नादान हूँ नादानियाँ कर जाता हूँ दुनियाँ के चक्कर में तुझे भूल जाता हूँ तेरा बडप्पन की तू सम्भाल लेता है मेरे गिरने से पहले तू थाम लेता है
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55
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात् ।।
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233
मैं हर रूप में तुम्हारी मदद के लिए आता हूँ ; मुझे ढूंढो मत केवल पहचानो |
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20
छड्ड दे फिकरा कल दिया, तूं हस के अज गुज़ार, कल जो होना होके रहना, आपे भली करू करतार वाहेगुरु जी
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