तेरी-मेरी राहें तो कभी एक थी ही नहीं, फिर शिकवा कैसा और शिकायत कैसी
Copy
213
मत करो उसके मैसेज का इन्तजार जो ऑनलाइन तो है पर किसी और के लिया..
Copy
506
जब तेरी याद आती है ना आँखे तोह मान जाती है पर यह कम्बख्त दिल रो पड़ता है
Copy
88
ऐ दिल थोड़ी सी हिम्मत कर ना यार, दोनों मिल कर उसे भूल जाते है
Copy
402
कभी मौका मिले तो सोचना ज़रूर कि एक लापरवाह शख़्स तेरी इतनी परवाह क्यूं करता है
Copy
187
उसे क्या फर्क पड़ता है बिछड़ने क्या, सच्ची मोहबत तो मेरी थी उसकी तो नही थी
Copy
195
अगर किसी दिन तुम्हें रोना आए तो कॉल जरूर कर लेना, हंसाने की गारंटी तो नहीं लेता पर तेरे साथ जरूर रहूंगा
Copy
218
चाह कर भी उनका हाल नहीं पूछ सकते डर है कहीं कह ना दे कि ये हक्क तुम्हे किसने दिया
Copy
1K
हम रिश्ते कम बनाते है मगर दिल से निभाते है
Copy
112
कुछ सोचना चाहिए था उसे, हर सितम से पहले,मै सिर्फ दीवाना नहीं था, इन्सान भी था...
Copy
153
क्या इतने दूर निकल आये हैं हम, कि तेरे ख्यालों में भी नही आते ?
Copy
1K
वो किसी की खातिर मुझे भूल भी गया तो कोई बात नहीं ,हम भी तो भूल गये थे सारा ज़माना उस की खातिर
Copy
503
वो भी जिन्दा है,मैं भी जिन्दा हूँ… क़त्ल सिर्फ इश्क़ का हुआ है
Copy
198
याद करोगे एक दिन मुझे ये सोच कर की क्यों नहीं कदर की मैंने उसके प्यार की
Copy
166
हमने तो एक ही शख्स पर चाहत खत्म कर दी अब मोहब्बत किसे कहते हैं हमे मालूम नहीं
Copy
121
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से, अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी
Copy
240
वो सिर्फ मेरी थी, लेकिन सिर्फ मेरे सामने
Copy
42
कोई भी रिश्ता अधूरा नहीं होता , बस निभाने की चाहत दोनों तरफ होनी चाहिए।
Copy
1K
नहीं मिलेगा तुझे कोई हम सा, जा इजाजत है ज़माना आजमा ले !!
Copy
1K
बात करने से ही बात बनती है..बात ना करने से, बातें बन जाती है ..!
Copy
154
"उतर जाते है कुछ लोग दिल में इस कदर इन्हे दिल से निकालो तो जान निकल जाती है..."
Copy
167
वो जो कल रात चैन से सोया हैं , उसको खबर भी नहीं कोई उसके लिए कितने रोया हैं..
Copy
284
बहुत करीब आकर बताया उसने कि तुम्हारा नहीं हूं मैं....
Copy
150
कितनी झूठी है ना मोहब्बत की कसमे, देखो ना ! तुम भी जिन्दा हो, मै भी जिन्दा हुँ
Copy
361
मुझे फरक नहीं पड़ता,,,,अब क़समें खाओ या जहर..!!
Copy
874
आज़ाद कर दिया हे हमने भी उस पंछी को …,जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहीन समजता था ..।
Copy
547
हमे नहीं आता दर्द का दिखावा करना बस अकेले रोते हैं और सो जाते हैं
Copy
112
लोग कहते हैं समझो तो खामोशियाँ भी बोलती हैं , मैं अर्सों से खामोश हूँ वो बरसों से बेखबर है
Copy
122
पता है तकलीफ क्या है किसी को चाहना फिर उसे खो देना और खामोश हो जाना
Copy
162
आवाज़ नहीं होती दिल टूटने की. लेकिन तकलीफ बहुत होती हैं.
Copy
176