वो जो कल रात चैन से सोया हैं , उसको खबर भी नहीं कोई उसके लिए कितने रोया हैं..
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कभी मौका मिले तो सोचना ज़रूर कि एक लापरवाह शख़्स तेरी इतनी परवाह क्यूं करता है
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187
कितनी झूठी है ना मोहब्बत की कसमे, देखो ना ! तुम भी जिन्दा हो, मै भी जिन्दा हुँ
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अगर किसी दिन तुम्हें रोना आए तो कॉल जरूर कर लेना, हंसाने की गारंटी तो नहीं लेता पर तेरे साथ जरूर रहूंगा
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साथ छोडने वालो को तो बस.. ऐक बहाना चाहिए। वरना निभाने वाले तो मौत के दरवाझे तक साथ नही छोडते।
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तेरी-मेरी राहें तो कभी एक थी ही नहीं, फिर शिकवा कैसा और शिकायत कैसी
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213
बात करने से ही बात बनती है..बात ना करने से, बातें बन जाती है ..!
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पता है तकलीफ क्या है किसी को चाहना फिर उसे खो देना और खामोश हो जाना
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चाह कर भी उनका हाल नहीं पूछ सकते डर है कहीं कह ना दे कि ये हक्क तुम्हे किसने दिया
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नहीं मिलेगा तुझे कोई हम सा, जा इजाजत है ज़माना आजमा ले !!
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कोई भी रिश्ता अधूरा नहीं होता , बस निभाने की चाहत दोनों तरफ होनी चाहिए।
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तेरी यादें हर रोज़ आ जाती है मेरे पास , लगता है तुमने बेवफ़ाई नही सिखाई इनको
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याद करोगे एक दिन मुझे ये सोच कर की क्यों नहीं कदर की मैंने उसके प्यार की
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"न कर मोहब्बत ये तेरे बस की बात नहीं, वो दिल मोहब्बत करते हैं जो तेरे पास नहीं!"
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आज़ाद कर दिया हे हमने भी उस पंछी को …,जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहीन समजता था ..।
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अब अगर तुम जाने ही लगे हो तो पलट कर मत देखना, *क्योकि मौत की सजा लिखने के बाद कलम तोड़ दी जाती है*
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समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से, अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी
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मिल सके आसानी से उसकी खवाहिश किसे है , ज़िद्द तो उसकी है जो मुक्कदर में लिखा ही नहीं है
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हम रिश्ते कम बनाते है मगर दिल से निभाते है
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हमे नहीं आता दर्द का दिखावा करना बस अकेले रोते हैं और सो जाते हैं
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क्या इतने दूर निकल आये हैं हम, कि तेरे ख्यालों में भी नही आते ?
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ना चाँद अपना था और ना तू अपना था ...!! काश दिल भी मान लेता की सब सपना था
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क्या खूब मजबूरियां थी मेरी भी अपनी ख़ुशी को छोड़ दिया ” उसे ” खुश देखने के लिए
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जब तेरी याद आती है ना आँखे तोह मान जाती है पर यह कम्बख्त दिल रो पड़ता है
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हमारा उसका अब रिश्ता न पूछो तालुक तो है मगर टुटा हुआ है
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उसे क्या फर्क पड़ता है बिछड़ने क्या, सच्ची मोहबत तो मेरी थी उसकी तो नही थी
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जिस दिल में तेरा नाम बसा था हमने वो दिल तोड़ दिया ना होने दिया बदनाम तुझे तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया
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मुझे फरक नहीं पड़ता,,,,अब क़समें खाओ या जहर..!!
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ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है..तो मेरा लहू लेले....यू कहानिया अधूरी न लिखा कर।
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