बताओ तो कैसे निकलता है जनाज़ा उनका, वो लोग जो अन्दर से मर जाते है !!😥😥
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तकलीफ़ अकेलेपन से नहीं, अंदर के शोर से है…🥺🥺
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बहुत अंदर तक तोड़ डालता है, वह अश्क जो आंखों से बह नहीं पाता |
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गलती उसकी नहीं मेरी ही थी, अंजाम पता था, फिर भी दिल लगा बैठे.
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सुकून गिरवी है उसके पास मोहब्बत क़र्ज़ ली थी जिससे...
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कितना अजीब है लोगों का अंदाज़-ए-मोहब्बत, रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं, अपना ख्याल रखना..✨
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तुम्हे चाहने वाला जब तुम्हे ही वक्त देना बंद कर दे तो समझ लेना कि वो अब तुम्हारा नहीं रहा
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उसके बदलने का कोई दुःख नहीं, बस अपने ऐतबार पर शर्मिंदा हूं
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लोग कहते है समझो तो खामोशियाँ भी बोलती है, मै अरसो से खामोश हूँ, वो बरसों से बेखबर है 💔
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बाहर से शांत दिखने के लिये अंदर से बहुत लड़ना पडता है |😉
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धोखा देने के लिए शुक्रिया तेरा ! तुम न मिलती तो दुनिया की समझ न आती 💯
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जरा सा भी नहीं पिघलता दिल तुम्हारा, इतना क़ीमती पत्थर कहाँ से खरीदा ..❤️🔥
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सबका भला सोचने की आदत है मेरी, और मेरी ये आदत मुझे पर ही लागू नहीं होती..
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वो भी ज़िन्दा है मे भी जिन्दा हूँ क़त्ल सिर्फ इश्क़ का हुआ है.
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उनके प्यारे से चेहरे पर रंग लगा देते! वो पास होते तो हम भी होली मना लेते !!
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तूने कैसे थामा होगा हाथ उसका, तेरी हथेली को भी आदत मेरी थी। 🥺🥺
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तू इश्क💗की दूसरी निशानी देदे मुझको,आँसू👀तो रोज गिर के सूख जाते हैं..!!
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नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नहीं, इतनी ही फ़िक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नहीं |
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उसने इश्क की अर्थी सज़ा दी, जो कभी इश्क़ का गुलाम था ।💯💔
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मैं भी तलाश में हूँ, अब किसी अपने की..कोई आप सा तो हो, लेकिन किसी और का ना हो..
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पता नहीं तेरे लगाये हुए ज़ख्म क्यूँ नहीं भरते, मेरे लगाये हुए तो पेड़ भी सूख जाते हैं |
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बहुत भरोसे टूटे...लेकिन भरोसे की, आदत नहीं गई..!!
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मैं तुमको सिखाना चाहता था कि प्रेम कैसे किया जाता है पर तुमने मुझे सिखा दिया कि प्रेम नही करना चाहिए।
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हम तो हँसते हैं दूसरों को हँसाने के लिए वरना ज़ख्म तो इतने हैं कि ठीक से रोया भी नहीं जाता..
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क्यूँ नहीं महसूस होती उसे मेरी तकलीफ जो कहते थे बहुत अच्छे से जानते हैं तुझे.🥺
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तकलीफ ये नही की किस्मत ने मुझे धोखा दिया अफसोस तो ये हे की मेरा यकीन तुम पर 👩 था किस्मत पर नही ✖️
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बाज़ार गया था आँसू बेचने हर ख़रीददार बोला की, अपनों के दिए तोहफे बेचा नहीं करते..
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जो प्यार नहीं सच्चा उसे भूल जाना ही अच्छा
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हम तो बस जरूरत थे, जरूरी तो कोई और था | 🥺
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हम रोज़ उदास होते हैं और रात गुज़र जाती है एक दिन रात उदास होगी और हम गुज़र जाएंगे
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