एक वक़्त ऐसा आता है के सब ठीक होने के बावजूद भी दिल मुस्कुराना भूल जाता है |
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अकेले रहने का भी एक अलग सुकून हे | ना किसी के वापस आने की उम्मीद, ना किसी के छोड़ जाने का डर.....
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एक घुटन सी होती है जीने में जब कोई दिल में तो रहता है पर साथ नहीं
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मैंने उस शख्स को कभी हासिल ही नहीं किया, फिर भी हर लम्हा लगता है कि, मैंने उसे खो दिया…..
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तबाहियों का दौर है जनाब, शांति की उम्मीद हमसे मत रखना!👿
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वक़्त आने दो उस पर भी राज करेंगे जिसे लोग दुनियां कहते हैं 🔥🔥
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थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर, मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा !!
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इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी, हमें कौनसी सदियाँ गुजारनी है यहाँ.
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नजरें 👀 झुकी थी और चेहरे 😊 पे क्या नूर था, उसकी सादगी में भी कितना गुरुर था!❤️
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जरुरी तो नहीं हर पल तेरे पास रहू मोहब्बत और इबादत दूर से भी की जाती है
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मैं भिखारी भी बन जाऊँगा तेरी खातिर, कोई डाले तो सही मेरी झोली में तुझे!
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मोहब्बत सिर्फ लफ्जो से बयां नहीं होती,अदाओ में भी कुछ राज छूपे होते है.🥰
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उस हंसती हुई तस्वीर को क्या मालूम की कोई उसे देख कितने रोता है
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कोई तो करता होगा हमसे भी ख़ामोश मोहब्बत किसी का हम भी अधूरा इश्क़ रहे होंगे |
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इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम.. अब दिल दुखाने भी नहीं आते 🥺
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आओ तुम्हे तुम्हारी औकात दिखाते हैं, तुम जिसे आप कहते हो वो हमे बाप कहते हैं...
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पैदा तो हम भी शरीफ हुए थे, पर शराफत से अपनी कभी बनी ही नहीं | 😎
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जिंदगी भर के लिये रूठ के जाने वाले, मैं अभी तक तेरी तस्वीर लिये बैठा हूँ.😥😥
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ना साथ है किसी का, ना सहारा है कोई, ना हम किसी के हैं ना हमारा है कोई.
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वो दिल ही क्या जो वफ़ा ना करे, तुझे भूल कर जिएं कभी खुदा ना करे, रहेगी तेरी दोस्ती मेरी जिंदगी बन कर, वो बात और है, अगर जिंदगी वफ़ा ना करे.......!
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जिसकी सज़ा सिर्फ़ तुम हो मुझे ऐसा कोई गुनाह करना है..❤️❤️
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जिनकी हँसी खुबसूरत होती है, उनके 'ज़ख्म' काफी गहरे होते है ।
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💘ऐसा नहीं के मैं रोती नहीं..बिखरती नहीं..टूटती नहीं..पर सलामत रहे मेरे दोस्त..जो हर बार जोड कर मुझे पहले जैसा नया कर देते है !!💘
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रिश्ता जताया नहीं निभाया जाता है,फिर चाहे वो दूर हो या पास.
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तू चालाकी से कोई चाल तो चल, जीतने का हुनर मुझ में आज भी हैं !
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किसे पुछूँ ? है ऐसा क्यों ?…बेजुबान सा ये जहां है ..
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ज़िन्दगी से यही सीखा है मेहनत करो रुकना नहीं हालत कैसे भी हो किसी के सामने झुकना नहीं
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तुम सिखाओ अपने दोस्तों को हथियार चलाना हमारे दोस्त तोह पहले से ही बारूद है
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जो होकर भी ना हो.. उसका होना कैसा... नाम के रिश्तों से शिकवा कैसा..रोना कैसा....
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ग़ालिब ने खूब कहा है - ऐ चाँद तू किस मज़हब का है , ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
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