मुझे किसी के बदल जाने का कोई गम नही बस कोई था जिससे ये उम्मीद नही थी
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आदत बदल सी गई है वक़्त काटने की , हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की
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बेशक मोहब्बत ना कर पर बात तो कर तेरा यु खामोश रहना बड़ी तकलीफ देता है
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मेरी मोहब्बत की कातिल मेरी ग़रीबी ठहरी उसे ले गए ऊँचे मकाँ वाले....!
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ना शाखों ने जगह दी ,, ना हवाओं ने बख्शा..! मैं हूँ टुटा हुआ पत्ता . आवारा ना बनता तो क्या करता
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कभी मिले फुर्सत तो इतना जरुर बताना वो कौनसी मोहब्बत थी जो हम तुम्हे ना दे सके
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तेरे बिना जीना बोहोत मुश्किल है ... और तुझे ये बताना और भी मुश्किल .
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माना कि तुझसे दूरियां, कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं, पर तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है |
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मोत से पहेले भी ऎक मौत होती हे..! देखो जरा तुम जुदा होकर किसी से..!
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कितना खुश था कभी मैं खुद की ही दुनियाँ में ये गैरों की मोहब्बत ने मुझे तबाह कर दिया |
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क्यूँ उदास बेठे हो इस तरहा अंधेरे मैं, दुःख कम नहीं होते रौशनी बुझाने से
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आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं।
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बहुत कुछ लिखना है पर लफ्ज़ खामोश है।
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खामोशियां बेवजह नहीं होती, कुछ दर्द आवाज छीन लिया करते हैं.
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खोकर पता चलती है कीमत किसी की, पास अगर कोई हो तो एहसास कहाँ होता है। 💯🥺
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कुछ लोगो को कितना भी अपने बनाने की कोशिश कर लो वो साबित कर देते है कि वो गैर ही है |
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याद नहीं वो रूठा था या मैं रूठा था, साथ हमारा जरा सी बात पे छूटा था….!!!
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उसका मिलना ही मुकद्दर में नहीं था वरना क्या क्या नहीं खोया उसे पाने के लिये
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क्या गिला करें उन बातों से क्या शिक़वा करें उन रातों से कहें भला किसकी खता इसे हम कोई खेल गया फिर से जज़बातों से
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कभी सोचा नहीं था, वो भी मुझे तनहा 🥺 कर जाएगी, जो परेशान देख कर अक्सर कहती थी, मैं हूँ ना... ❤️
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अच्छी लगती है ये खामोशियाँ भी अब हर किसी को जवाब देने का सिलसिला ख़त्म हो गया।
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दर्द सिर का हो या दिल का..दोनों बहुत बुरे होते है💔
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जिस्म तो फिर भी थक हार के सो जाता है....काश दिल का भी कोई बिस्तर होता.....
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माना की मरने वालों को भुला देतें है….सभी ...मुझे जिंदा भूलकर उसने कहावत ही बदल दी…
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क्या कहें कुछ नहीं है कहने को, हाय क्या गम मिला है सहने को.
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फैसला ! नहीं हो पा रहा, तनहा ! रात है या मै ...
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दो पल भी नहीं गुज़रते तुम्हारे बिन,ये ज़िन्दगी ना जाने कैसे गुज़ारेंगे!
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भूल जाना तो जमाने की फितरत है, पर तुमने शुरुआत हमसे ही क्यों की.
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सब कुछ ठीक ही चल रहा है ना जाने क्यों उदास हु मैं
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"बात इतनी है के तुम बहुत दुर होते जा रहे हो... और हद ये है कि तुम ये मानते भी नही...."
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