वो वक़्त कुछ और था, वो इश्क़ का दौर था, ये वक़्त कुछ और है, ये ख्वाहिशों का दौर है.!
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दो पल भी नहीं गुज़रते तुम्हारे बिन,ये ज़िन्दगी ना जाने कैसे गुज़ारेंगे!
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मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ, सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है !!
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तेरे बिना जीना बोहोत मुश्किल है ... और तुझे ये बताना और भी मुश्किल .
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उस हंसती हुई तस्वीर को क्या मालूम की कोई उसे देख कितने रोता है
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कभी कभी नाराज़गी दूसरों से ज्यादा खुद से होती है |
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मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
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हमें भी शौक था दरिया -ऐ इश्क में तैरने का, एक शख्स ने ऐसा डुबाया कि अभी तक किनारा न मिला.
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अब तो मोहब्बत 💕भी सरकारी नौकरी 🎓 जैसी लगती है, कम्बख्त ग़रीबों 👳 को तो मिलती ही नहीं
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इन् तरसती निग़ाहों का ख़्वाब है तू, आजा के बिन तेरे बहुत उदास हूँ मैं..!!
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हम उनसे तो लड़ लेंगे जो खुले आम दुश्मनी करते हैं... लेकिन उनका क्या करे जो लोग मुस्कुरा के दर्द देते हैं...
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कुछ नही मिलता बस एक सबक़ मिल जाता हैं, ख़ाक हो जाता हैं इंसान, ख़ाक से बने इंसान के पीछे।।
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बहुत याद आते हो तुम , दुआ करो मेरी यादाश्ति चली जाये
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काश तू सिर्फ मेरे होता या फिर मिला ही ना होता
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सुना था हमने दर्द अक्सर बेदर्द लोग देते हैं मगर हमारी दुनिया उजाड़ी है एक मासूम चेहरे ने
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तेरी आँखों👀से यूँ तो सागर भी पिए है मैंने💧…तुझे क्या खबर जुदाई के दिन कैसे जिए है मैंने…!!
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दुनिया में वो शख्स ही सबसे ज्यादा उदास रहता है, जो अपने से ज्यादा किसी और की फिकर करता है !!
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किस्मत और दिल की आपस में कभी नहीं बनती ! जो लोग ♥ दिल में होते है ! वो किस्मत में नहीं होते
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जिसे दिल मे जगह दी थी वो ही सब बर्बाद कर गया....!!
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दोबारा इश्क़ हुआ तो तुझसे हे होगा खफा हूँ मैं बेवफा नहीं
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परेशान करते थे मेरे सवाल तुमको.. तो बताओ पसंद आयी खामोशी मेरी....
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बेशक मोहब्बत ना कर पर बात तो कर, तेरा यु खामोश रहना बड़ी तकलीफ देता है..
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कुछ नहीं लिखने को आज.... न बात , न ज़ज्बात
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चैन से गुज़र रही थी ज़िन्दगी,और फिर तुम मिल गए!
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कोई रूह का तलबगार मिले तो हम भी महोब्बत कर ले… यहाँ दिल तो बहुत मिलते है,बस कोई दिल से नहीं मिलता
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कभी अकेले रह कर देखना, लफ़्जों से ज्यादा आँसू निकलते हैं.
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कमाल करता है तू भी ए दिल उसे फुर्सत नहीं है और तुझे चैन नहीं
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हर रोज तेरी यादों का हिसाब कर लेता हूं, मैं थोड़ा हंस लेता हूं; थोड़ा रो लेता हूं मैं ||
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ना शाख़ों ने जगह दी ना हवाओ ने बक़शा, वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता…..!!
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भूल जाना तो जमाने की फितरत है, पर तुमने शुरुआत हमसे ही क्यों की.
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